Thursday, May 6, 2010

ॐ साईं राम

मंगल भवन अमंगल हारी,दॄवहुसु दशरथ अजिर बिहारि,
होवहि वही जो राम रचि राखा,को करि तरक बढावहिं साखा,
सुमति कुमति सब कें उर रहहीं,नाथ पुरान निगम अस कहहीं,
जहां सुमति तहां सम्पत्ति नाना,जहां कुमति तहां विपत्ति निधाना
जय साईं राम

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